जानिये 1G से 5G Network तक का सफर

एक समय था जब हमें किसी व्यक्ति को संदेश देना होता था तो कागज के पैगाम का सहारा लेना पड़ता था, उस पैगाम को हम डाक (post) के माध्यम से एक जगह से दूसरी जगह पर पहुँचाते थे, इस प्रोसेस में कई दिनों का समय लगता था और फिर हमारा पैगाम मिलने के बाद सामने वाला भी डाक के माध्यम से ही हमारे पैगाम का जवाब देते थे, हालांकि अब वह जमाना नहीं रहा जब चिट्ठी के माध्यम से हम अपनी बातों और संदेशों को पहुँचाते थे अब जमाना बदल गया है टेक्नोलॉजी ने इतनी तरक्की हासिल कर ली है कि हम चांद तक पहुंच गए हैं.

कागज के पैगाम की जगह मोबाइल फोन ने ले ली है हम अपने मोबाइल से बिना देर किए किसी को भी संदेश पहुंचा सकते हैं और वह भी पल भर में ही सामने वाले व्यक्ति तक पहुंच जाता है और उतनी ही जल्दी वह हमें हमारे संदेश का जवाब भी दे देता है. जब हम मोबाइल से मैसेज करते हैं तो वह एक सेकेंड के अंदर ही जिस व्यक्ति को हम संदेश पहुंचाना चाहते हैं उसके पास पहुंच जाता है और पलक झपकते ही हमें हमारे मैसेज का जवाब भी मिल जाता है. बीते समय में इस तरह की परिकल्पना भी कर पाना मुश्किल था लेकिन बदलती टेक्नोलॉजी ने नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया है.

कई बार हम यह सोचते हैं कि आखिर यह सभी चीजें संभव कैसे हुई? यदि आपके मन में भी इस तरह के कई सवाल आते हैं तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इसका पूरा श्रेय हेनरिक हर्ट्ज़ (Henrich hertz) को जाता है.जेम्स क्लर्क मैक्सवेल (James clerk maxwell) सन् 1864 में माइक्रोवेव की प्रतिलेख की खोज कर हर किसी को चौका दिया था. इसी वर्ष जेम्स क्लर्क मैक्सवेल ने अपने सभी समीकरणों का उपयोग करते हुए एक भविष्यवाणी की थी. इसी भविष्यवाणी (थ्योरी) को आधार मानते हुए हेनरिक हर्ट्ज़ (Henrich hertz) ने 1888 को इलेक्ट्रॉनिक्स वेव (माइक्रोवेव विकिरण) Electronics Wave (Microwave Radiation) की खोज करते हुए इसे सिद्ध भी किया था. इलेक्ट्रॉनिक्स वेव (माइक्रोवेव विकिरण) पर टीवी, रेडियो और मोबाइल का आविष्कार किया गया था.

हालांकि ऐसा नहीं है कि इलेक्ट्रॉनिक्स वेव (माइक्रोवेव विकिरण) के अविष्कार के बाद सभी Mobile network आ गए थे, क्योंकि शुरुआत के समय में सभी इलेक्ट्रॉनिक्स वेव (माइक्रोवेव विकिरण) की क्षमता बहुत ही सीमित थी जिसे बाद में क्रमबद्ध तरीके से इसका और भी ज्यादा आविष्कार किया गया था.

आज हम जिस नेटवर्क का उपयोग कर रहे हैं वह 4G Network है और जल्द ही 5G Network भी दस्तक देने ही वाला है लेकिन इन Mobile network की तकनीक पहले के समय में इतनी अधिक पावरफुल नहीं थी. Mobile network की दुनिया में पिछले 10 साल में बहुत ज्यादा बदलाव देखने को मिला है एक समय था जब 1G Mobile network का उपयोग किया जाता था, हालांकि आज तो हम 5G network तक पहुंच गए हैं लेकिन यह सफर इतना आसान नहीं था जितना कि हम सामान्य सोचते हैं.1G Network से लेकर 5G Network तक का सफर बहुत ही शानदार तो रहा है लेकिन इसके बारे में ज्यादा जानकारी हर किसी को नहीं है. आज हम आपको 1G Network से लेकर 5G Network तक के सफर को विस्तार से बताएंगे जिसे जानने के बाद आप मोबाइल नेटवर्क के बारे में अच्छी तरह से समझ जाएंगे. साथ ही आप इस लेख में जानेंगे मोबाइल नेटवर्क क्या है? (What is mobile network) मोबाइल में नेटवर्क कैसे काम करता है? (How network works in mobile) नेटवर्क क्या है? (What is a network) 1G से 5G नेटवर्क की व्याख्या? नेटवर्क कितने तरह के होते हैं? (types of networks) नेटवर्क के प्रकार क्या है?

कंप्यूटर नेटवर्क क्या है? (What is a Computer Network)

जब एक या एक से ज्यादा कंप्यूटर को किसी माध्यम से आपस में कनेक्ट किया जाता है या किसी जानकारी को शेयर किया जाता है तो उस टेक्नोलॉजी को हम Network कह सकते हैं यह नेटवर्क दो तरह से हो सकता है तार रहित और तार सहित. नेटवर्क 2 तरह से उपयोग किया जा सकता है पहला वायर से और दूसरा बिना वायर से.

वायर नेटवर्क की यदि बात कर रहे तो उसमें Fiber Optics Cable, Coaxial Cable, Twisted Pair Cable मै से कुछ भी हो सकता है यदि वायरलेस नेटवर्क कि यदि बात करे तो उसमें Bluetooth, radio wave, satellite or interface में से कुछ भी हो सकता है.

कंप्यूटर उपकरणों के कई उदाहरण हो सकते हैं जैसे:-
– स्मार्टफोन (smart Fone)
– टैबलेट (Tablet)
– वेबकैम (webcam)
– स्विचेस (Switches)
– केंद्र (center)
– मॉडेम (modem)
– रूटर (router)
– रिपीटर (Repeater)
– नेटवर्क इंटरफेस कार्ड (network interface card)
– ब्रिजस (Bridges)
– कंसोल और थिन क्लाइंट (Console and Thin Client)
– लैपटॉप (Laptop)
– डेक्सटॉप कंप्यूटर (desktop computer)
– मेनफ्रेम और सर्वर (Mainframes and Servers)
– फायर वॉल (Fire Wall)

G नेटवर्क किसे कहते हैं? (What is the G Network)

Mobile Network में G से आशय Generation से होता है. किसी भी Generation को पहचानने के लिए G का उपयोग किया जाता है जैसे 1G, 2G, 3G, 4G और 5G. 1 से लेकर 5 तक सभी के पीछे G लगाने से आशय है वह Generation को बताता है कि आप किस Generation का नेटवर्क उपयोग कर रहे हैं.

1G से 5G नेटवर्क तक का इतिहास क्या है? (History Of 1G to 5G Network)

1G से 5G Network तक का इतिहास बहुत ही अद्भुत और अद्वितीय रहा. चलिये जानते है नेटवर्क का पूरा इतिहास और उसकी व्याख्या :-

1जी नेटवर्क क्या है? (What is 1G Network)

Mobile Network की दुनिया में मोबाइल टेलीफोन की दुनिया की पहली जनरेशन (world first generation of mobile networks) 1G Network को कहा जाता है. यह सभी generation की पहली पीढ़ी है जो एनालॉग सिगनल पर आश्रित टेक्नोलॉजी थी जिसकी क्षमता बहुत ज्यादा ही कम हुआ करती थी.

1G Technology का उपयोग सबसे पहले 1979 में किया गया था. जापान की मशहूर NTT Company (Nippon Telegraph & Telephone Company) ने सबसे पहले इसे लांच किया था जिसके चलते यह तकनीक 1980 मैं सबसे ज्यादा लोकप्रिय भी हुई थी.यूएस में इस टेक्नोलॉजी को 1983 मैं लांच किया गया था, वैसे तो Martin Cooper (Motorola Company) ने मोबाइल का आविष्कार 1973 मैं कर दिया था लेकिन, फोन में 1G मोबाइल नेटवर्क का उपयोग 1980 के दशक प्रारंभ हुआ था. इस टेक्नोलॉजी की क्षमता महज 2.4 Kbps की गति पर ही आश्रित थी जिस वजह से सिर्फ वॉइस के लिए यह तकनीक खास थी.

2जी नेटवर्क क्या है? (What is 2G Network)

2G Network की शुरुआत मोबाइल की दुनिया में 1991 में हुई 2G Network को मोबाइल नेटवर्क की दुनिया की दूसरी पीढ़ी (world second generation of mobile networks) कहा जाता है. इस टेक्नोलॉजी में पहली टेक्नोलॉजी के मुकाबले काफी बदलाव देखने को मिले थे एक तरफ जहां 1G Network मैं Analog network का उपयोग किया गया था जबकि 2G Network मैं digital signal का उपयोग किया गया था. Gsm पर आधारित मोबाइल तकनीक फिनलैंड से प्रारंभ हुई जबकि यूएसए में सीडीएमए का उपयोग किया गया था. 1G Network के माध्यम से Tax message, Multimedia Message और Picture message सेंड नहीं किए जा सकते थे, लेकिन 2G Network आने के बाद सिग्नल के माध्यम से अब फोन से Picture messages, text messages and multimedia messages आसानी से सेंड और रिसीव किए जा सकते थे. बैटरी कि यदि बात की जाए तो 1G की अपेक्षा 2G Network बैटरी की खपत बहुत ज्यादा ही कम करता था.

2G Network आने के बाद डेटा का उपयोग भी आसानी से किया जा सकता था लेकिन डेटा सुविधा मिलने के बाद भी इस नेटवर्क में अपलोड और डाउनलोड की अधिकतम स्पीड 64Kbps तक ही सीमित थी, हालांकि 2G Network में कई सुधार करते हुए 2.5 जी और 2.7 भी जिसमें Maximum Data Speed 256kbps हुआ करती थी. भारत में मोबाइल नेटवर्क की शुरुआत 2.5 G से हुई थी.

3जी नेटवर्क क्या है? (What is 3G Network)

2G Network को काफी पसंद किया जा रहा था बदलती टेक्नोलॉजी ने 2G नेटवर्क की जगह सन 2000 में 3G नेटवर्क की शुरुआत हुई थी. वैसे तो 2G Mobile Network को हर कोई अपने अनुसार उपयोग कर रहा था जिसका कोई स्टैंडर्ड निर्धारित नहीं था, लेकिन 3G नेटवर्क को International Telecommunication Union (ITU) IMT 2000 नाम से एक स्टैंडर्ड बनाया गया, हालांकि इस समय NTT DOCOMO ने Pre Commercial Service को लॉन्च कर दिया था, हालांकि आधिकारिक रूप से इस सर्विस को 2001 में लांच किया गया था. 3G Mobile Network के अंतर्गत कॉल और नेटवर्क डाटा दोनों के लिए बनाया गया था.

3G network में Data speed 384 Kbps से 2 एमबीपीएस के मध्य थी. 3G नेटवर्क के अंतर्गत यूजर को वॉइस कॉल के अलावा वीडियो कॉल की भी फैसिलिटी मौजूद थी. इस नेटवर्क के फीचर्स कि यदि बात करें तो इसमें इंटरनेट, फाइल ट्रांसफर, वीडियो कॉन्फ्रेसिंग, ऑनलाइन टीवी, 3D गेम के अलावा ईमेल रिसीव और सेंड जैसे फीचर्स भी मौजूद थे. 1G और 2G के मुकाबले यह तकनीक काफी हद तक सुरक्षित और सिक्योर थी. 3G टेक्नोलॉजी में कई तरह के बदलाव करते हुए इसमें विकास किए गए जिसके अंतर्गत एचएसपीए, एचएचपीए+, एचएसडीपीए, एचएचएसपीए टर्बो जैसे फीचर्स 3G नेटवर्क के ही स्टैंडर्ड है. इस नेटवर्क की अधिकतम डाटा क्षमता 42Mbps की है.

4जी नेटवर्क क्या है?(What is 4G Network)

आज संपूर्ण विश्व में 4G Network का बोलबाला है. हर कोई 4G Network का उपयोग कर रहा है, वैसे तो 4G Network की शुरुआत 2007 में हो गई थी लेकिन उस दौरान इस Network का WiMAX Network पर प्रशिक्षण किया गया था. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 4G Network को आईटीयू ने तैयार नहीं किया है.

आईटीयूट ने साल 2008 में 4G नेटवर्क के लिए IMT Advance Technology की घोषणा कर दी थी जो GSM पर आधारित 4G टेक्नोलॉजी थी, जिसके बाद इस तकनीक में काफी विकास देखा गया जिसके चलते 4G नेटवर्क का सबसे पहले ट्रायल NTT DOCOMO ने किया था हालांकि बताया जाता है कि 4G नेटवर्क की शुरुआत (4G network debut) आधिकारिक रूप से एक फिनिश कंपनी द्वारा की गई थी. भारत में वाईमैक्स तकनीक का बीएसएनएल के अलावा और भी कई ऑपरेटर्स में परीक्षण किया था हालांकि वह आ नहीं पाए थे.

4G एलटीई की शुरुआत सबसे पहले कोलकाता से एयरटेल ने की थी. इसमें भी दो टेक्नोलॉजी थी, 4G की एफडीडी टेक्नोलॉजी को एयरटेल ने लांच किया था. बाद में आइडिया और वोडाफोन ने भी इसी टेक्नोलॉजी को पेश किया.

हालांकि 2016 में उस समय नेटवर्क की दुनिया में बदलाव आया जब रिलायंस जियो ने भारत में 4G TDD service को लांच किया साथ ही कंपनी ने 4G VoLTE की सुविधा भी मुहैया कराई. 4जी टेक्नोलॉजी में कई तरह के सुधार किए गए और इसकी क्षमता को अत्यधिक बढ़ाया गया था कि यूजर को किसी भी तरह की परेशानी का सामना ना करना पड़े. 4G नेटवर्क में डाटा क्षमता को डिफाइन किया गया है आपकी जानकारी के लिए बता दें कि डाटा क्षमता कैट से डिफाइन किया गया है.

यदि आपके फोन में कैट 3 सपोर्ट करता है तो यह आपको डाटा ट्रांसफर की स्पीड 100 एमबीपीएस की नेटवर्क स्पीड देखता है ठीक इसी तरह कैट 4 मैं 150 Mbps speed कैट 6 में 300 Mbps speed, कैट 9 मैं 450 Mbps speed के अलावा यदि कैट 11 है तो उसमें 600mbps तक की डाटा ट्रांसफर क्षमता होती है. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि 4G नेटवर्क की अधिकतम स्पीड (4G network maximum speed) 600 Mbps तक की है.

5जी नेटवर्क क्या है? (What is 5G Network)

टेक्नोलॉजी के मामले में कहा जाता है कि भारत दूसरे देशों से तकनीक के क्षेत्र में काफी पीछे है. हमारे देश में मोबाइल सर्विस भी दूसरे देशों के मुकाबले 15 साल लेट आई. 3G टेक्नोलॉजी में भी हम दूसरे देशों से 10 साल पीछे थे.दूसरे देशों में देखा जाए तो 3G सर्विस को 2001 में ही लांच कर दिया था लेकिन भारत में यह सर्विस 2011 में प्रारंभ हुई थी. सामान्यतः देखा जाए तो 4G Network ने इस कमी को थोड़ा बहुत कम कर दिया था और 4G टेक्नोलॉजी दूसरे देशों के मुकाबले तीन से चार साल लेट ही हमारे देश में लांच कर दी गई थी.

5G टेक्नोलॉजी को लेकर अनुमान लगाया जा रहा है कि दूसरे देशों के मुकाबले 5G टेक्नोलॉजी का हमारे देश में लांच होने में देर नहीं होगी, क्योंकि हमारे देश में 5G Network और लेकर स्मार्टफोन और टावर के सभी मानकों का निर्धारण कर लिया गया है.

5G टेक्नोलॉजी को लेकर एक बात अच्छी कही जा रही है कि इस तकनीक के लिए विश्व भर की सभी कंपनियां अपनी तरफ से उत्सुकता दिखा रही है. जल्द ही भारत देश में भी 5G टेक्नोलॉजी सपोर्ट करने वाले प्रोडक्ट (5G Technology Support Product) जल्द ही मार्केट में आ सकते हैं.

5G टेक्नोलॉजी के लिए भारत पहले से ही तैयार है. 4G टेक्नोलॉजी में अधिकतम स्पीड 600 Mbps तक की थी, जबकि 5G टेक्नोलॉजी के चलते डाउनलोड की स्पीड और भी बढ़ जाएगी बताया जा रहा है कि 5G टेक्नोलॉजी की स्पीड (5G technology download speed) 1GBPS से शुरू होगी ऐसा माना जा रहा है.

यदि डाउनलोडिंग की स्पीड 1GBPS की मिलेगी तो आप अनुमान लगा सकते हैं कि वह एहसास कैसा होने वाला है चंद सेकेंड में ही बड़ी से बड़ी मूवी आसानी से डाउनलोड हो जाएगी वह भी बिना बफरिंग के ऑनलाइन वीडियो के दौरान भी हमें किसी तरह का कोई एरर नहीं मिलेगा. 5G टेक्नोलॉजी के आने के बाद हर किसी का इंटरनेट चलाने का अनुभव पूरी तरह से बदल जाएगा.

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