यहाँ डर सबको लगता है

 

आज कल इन्सान के डर मनोविज्ञान होते है चिंता, तनाव, उलझन यह सभी हमारी नकारात्मक, अनुशासनहीनत,कल्पना के कारण पैदा होते है। जब हम कठिन समस्याओं का सामना करते है, तो हम तब तक दलदल में फसे रहते है जब तक की हम कर्म नहीं करते। आशा से शुरुवात होती है परन्तु जीतने के लिए आशा के साथ कर्म की भी जरुरत होती।

  1. रंगरूप के कारण झिझक

अपना हुलिया सुधारे.नाई या ब्यूटी पार्लर में जाए। जूते चमकाए साफ़ और प्रेस किये हुए कपडे पहने बेहतर ढंग से तैयार हो। अच्छा दिखने ले हमें हमेशा नए कपड़ो की जरुरत नहीं होती.

  1. किसी महत्वपूर्ण ग्राहक को खो देने का खतरा

बेहतर सेवा देने की दुगुनी कोशिश करे। ऐसी हर चीज को सुधारे ले जिससे आपके ग्राहक का आपसे विश्वास कम होता है

  1. परीक्षा में फेल होने का डर

चिंता में समय गवाने के बजाये इस समय को पढने में लगाए। मन लगा कर पढने लगेगे तो परीक्षा  का डर थोड़े समय में अपने आप खत्म हो जाएगा।

  1. आपके नियंत्रण से पूरी तरह बहार की चीजो का डर

अपना ध्यान किसी दूसरी तरफ ले जाए। अपने बगीचे में जार कर खरपतवार साफ़ करे. अपने दोस्तों या परिजनों के साथ फिल्म देखने जाए आपका ध्यान और आपके सोचने का तरीका बदल जायेगा।

  1. शारीरिक क्षति का डर

किसी ऐसी चीजो से शारीरिक क्षति का डर जिसे आप नियंत्रित नहीं कर सकते जेसे बिजली गिरना, तूफान आना, हवाई जहाज दुर्घटना का डर। अपना ध्यान दुसरो के डर को कम करने में उनकी मदद करे।

  1. निवेश करने या घर खरीदने के पहले का डर

सभी बातो पर विचार कर ले। फिर फेसला करे.एक बार फेसला करने के बाद आप उसी के हिसाब से काम करे अपनी बुधि और अपने निर्णय में विश्वास रखे।

  1. हमारे बारे में दुसरे लोग क्या सोचेगे.

यह सुनिश्चित कर ले की आप जो करना चाहते है वह सही है. फिर चाहे उस काम को करे.किसी भी यक्ति के बिना आलोचना के कोई महत्वपूर्ण काम कभी नहीं किया।

  1. लोगो का डर

चीजो को सही नजरिएसे देखे याद रखे सामने वाला यक्ति भी आप ही की तरह एक इन्सान है।

अगली बार जब भी आपको डर लगे चाहे वह छोटा हो या बड़ा, अपने आपको संभाले फिर इस सवाल का जवाब ढूढे किस तरह के काम से में अपने डर को जीत सकता हु।

 

Leave a Comment