कल्पना ने जो किया कोई उसकी कल्पना भी नहीं कर सकता

हरियाणा में  17 मार्च 1962 को जन्मी कल्पना ने भारत का गोरव विश्व में बढाया है। कप्लना ने अपनी लगन हिम्मत और आत्मविश्वाश से अपना सपना पूरा किया और अन्तरिक्ष में पहुची। किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा की अक मामूली सी जगह की लड़की देश की प्रथम अन्तरिक्ष महिला बनेगी। अपने आत्मविश्वाश से कल्पना ने सभी की कल्पना को सच्चाई में बदल दिया। किसी ने इस बात की कल्पना भी नहीं की होगी की इस भारतीय लड़की के जीवन की दूसरी उडान इसके जीवन की आखरी उडान होगी।
  • कल्पना चावला पहली भारतीय महिला है जिन्होंने अन्तरिक्ष पर कदम रखा।
  • कल्पना का जन्म 17 मार्च 1962 को हरियाणा के करनाल में हुआ था।
  • कल्पना के पिताजी का नाम बनारसी लाल चावला था।
  • उनकी माताजी का नाम संजयोती चावला था।
  • कल्पना अपने परिवार में सबसे छोटी थी, लेकिन उनकी कल्पना वाकई सबसे बड़ी थी।
  • कल्पना का बचपन का नाम मोंटू था।

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  • कल्पना ने अपनी शुरूआती पढाई टैगोर स्कूल में की थी।
  • नासा के लिए काम  करने से पहले  कल्पना ने टेक्सास यूनिवर्सिटी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की डिग्री 1984 में प्राप्त की।
  • कल्पना ने  इंजीनियरिंग चंडीगढ़ के कोलेज से की।

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  • कल्पना ने नासा 1988  में कम करना चालू किया।
  • सर्वपर्थम अन्तरिक्ष में भेजने के लिए जेआरडी टाटा ने कल्पना का नाम घोषित किया।
  • कल्पना चावला ने अपनी पहली उडान एस टी एस 87 कोलंबिया शटल से की थी।

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  • अपनी उडान के दोरान कल्पना ने  पृथ्वी की 252 परिक्रमाएं करने के साथ ही अन्तरिक्ष में 372 घंटे व्यतीत किये थे ।
  • कल्पना ने अपनी द्वितीय और जीवन की अंतिम उडान 16 जनवरी, 2003 को भरी।
  • कल्पना ने अपनी दूसरी और अंतिम उडान स्पेस शटल कोलबिया से भरी थी।

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  • इस उडान के तहत कल्पना को और उनके साथियों को 16 दिन वहा गुजारना था।
  • 16 दिन का यह  अन्तरिक्ष मिशन पूर्ण रूप से विज्ञान और अनुसंधान पर केन्द्रित था।
  • 01 फरवरी 2003 को कोलबिया स्पेस शटल लेंडिंग के कुछ सेकण्ड पहले ही दुर्घटना ग्रस्त हो गया जिसके चलते कल्पना समेत 6 अंतरिक्ष यात्रियों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी।

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