ISRO होने जा रहा है इतिहास के पन्नो में दर्ज

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो भारतीय एजेंसी स्पेस शटल के स्वरूप के लिए तैयार है इस बार मैड-इन -इडिया बनाने पर पूरी तरह से तैयार होने का प्रयास कर रहा है। इसरो को श्रीहरिकोटा में आखरी और अंतिम स्वरूप दिया जा रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है इसरो को पहली बार डेल्टा के पंखो में लैस यान को प्रक्षेपित करता नजर आयेगा। अंतरिक्षीय प्रक्षेपण की लागत को 10 गुना कम करके 2000 डॉलर प्रति किलो पर लाया जा सकता है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन को छह गुना छोटा आकार प्रकार में अमेरिकन स्पेस शटल से जो मेल खाने वाले जिस प्रकार आरएलवी-टीडी का परीक्षण किया जा रहा है, जो लगभग छह गुना छोटा होगा। अंतिम प्रारूप को तैयार होने में कम से कम 10 से 15 साल का समय लगेगा क्योंकि पुन: प्रयोग योग्य मानव सहित रॉकेट को डिजाइन करना कोई सरल नही है। इसरो 6.5 मीटर की लम्बाई एव 1.75 टन भारी भरकम यान है। जो एक महत्व पूर्ण राकेट बूस्टर की साहयता से वायुमंडल मे भेजा जाएगा। भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो मे तैरने की क्षमता नही है। यह आरएलवी-टीडी को इस दोरान मे समुद्र मे नही बरामद किया जा सकता है। क्योकि इसकी डिजाइनिग तैरने लायक नही है।

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