BS6 Norms : BS6 मानक क्या है, BS4 और BS6 में क्या अंतर है?

भारत की सड़कों पर हर जगह गाडियाँ ही गाडियाँ नजर आती है. हर दिन कोई न कोई व्यक्ति गाड़ी खरीदता है और हर साल कंपनी कोई न कोई नई गाड़ी लॉंच करती है. हम सभी ये देखकर गाड़ी खरीदते हैं की गाड़ी कितना ऐवरेज देगी, कितना पिकअप देगी. लेकिन अब कोई भी वाहन खरीदते वक़्त आपको ये भी ध्यान रखना होगा की वो किस भारत स्टेज का है. वो BS4 का है या BS6 का है.

भारत में अप्रैल 2020 से नई गाड़ियों के लिए नए मानक लागू होंगे. अब सभी नई गाडियाँ BS6 मानकों (BS6 Norms) के अंतर्गत बनेंगी. BS6 का सीधा असर गाड़ी के इंजिन से है. BS6 से पहले देश में कुछ सालों पहले BS4 लागू किया गया था. एक दम से सारी गाडियाँ BS4 कर दी थी. इसी तरह अब अप्रैल 2020 में BS6 मानकों वाली गाडियाँ ही खरीदी और बेची जाएंगी.

भारत स्टेज (बीएस) मानक क्या है? (What is Bharat Stage emission standards)

जब भी की वाहन रोड पर चलता है तो वो प्रदूषण फैलता है. इस बात को हम सभी जानते हैं लेकिन किसी भी वाहन का इंजिन किस हद तक प्रदूषण फैला सकता है इस बात को तय करता है भारत स्टेज एमिशन स्टैंडर्ड. इसे हम BS Norms या बीएस मानक भी कहते हैं. इन्हीं के द्वारा ये तय होता है की देश में जो वाहन बन रहें हैं उनका इंजिन कितना प्रदूषण फैलाएगा.

भारत BS Norms को साल 2000 में introduce किया गया था. इसके बाद समय-समय पर BS Norms में बदलाव किए गए. अप्रैल 2017 में देश में BS3 को हटाकर BS4 norms लागू किए गए थे. इसके बाद BS5 norms को लागू करना था लेकिन उसे छोड़कर अब सीधे BS6 norms देश में लागू किया जाएगा.

बीएस4 और बीएस6 में क्या अंतर है? (Difference between BS4 and BS6)

आप सोच रहे होंगे की जब वाहनों में अच्छा भला बीएस4 चल रहा था तो सरकार अब बीएस6 क्यों लागू कर रही है. दरअसल देश में प्रदूषण का स्तर दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है. बात अगर बड़े शहरों को करें तो वहाँ लोगों को सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है. देश की राजधानी दिल्ली के हाल तो आप सभी जानते ही हैं. इसके अलावा भी बड़े-बड़े शहरों में वाहनों के कारण काफी प्रदूषण बड़ गया है. इसी को कम करने के लिए समय-समय पर गाड़ियों के इंजिन में बदलाव किए जाते हैं जिससे की वे कम प्रदूषण करें. बात अगर बीएस4 और बीएस6 में अंतर की करें तो

– बीएस6 मानकों के वाहन के इंजिन में खास तरह के फिल्टर लगाएँ जाएंगे जो वाहन से निकालने वाले धुएँ में से खतरनाक पदार्थ को रोक लेंगे.

– बीएस6 में बीएस4 के मुक़ाबले कम प्रदूषण फैलाने वाले खतरनाक पदार्थ होंगे.

– बीएस4 ईधन में सल्फर की मात्र 50 PPM होती है और बीएस6 ईधन में सल्फर की मात्र 10 PPM होगी. जिससे पर्यावरण को कम नुकसान होगा.

– बीएस6 वाहन से निकालने वाले धुएँ से प्रदूषण के कण 0.05 % से घटकर 0.01 % पर आ जाएंगे यानि की पर्यावरण को काफी हद तक साफ-सुथरा रखने में मदद मिलेगी.

बीएस6 की वजह से क्या बदलाव आएंगे? (Changes in engine or vehicle after BS6 implement)

बीएस6 मानकों के बदलाव गाड़ियों के इंजिन में किए जाएंगे इसके लिए आपको कुछ नहीं करना है. बीएस6 मानकों के बदलाव का असर सीधा आपकी सेहत और पर्यावरण पर देखने को मिलेगा. बीएस6 की वजह से गाड़ियों के इंजिन में निम्न बदलाव होंगे.

– वाहनों में Diesel particular fit किया जाएगा जिसकी मदद से पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले खतरनाक पदार्थों को वाहन के अंदर ही रोका जा सकेगा.

– वाहनों में nitrogen oxide को कम करने के लिए Selective catalytic reduction module लगाया जाएगा.

– वाहनों के इंजिन में micorprocessor का इस्तेमाल किया जाएगा जिसकी वजह से गाड़ी से निकालने वाले धुए को कम किया जाएगा.

– वाहनों में Hybrid engine आ सकते हैं क्योंकि ये ही है जो इस तरह की technology को support करेंगे.

बीएस6 का क्या असर होगा? (Effects of BS6 standard)

– बीएस6 के लागू होने के साथ ही बीएस6 मानक के साथ आने वाले वाहन महंगे हो जाएंगे क्योंकि emmision को रोकने वाले equipment महंगे आएंगे.

– बीएस6 को अपनाने के लिए ईधन में भी बदलाव करने पड़ेंगे जिसके कारण हो सकता है की ईधन भी महंगा हो जाए.

– वाहनों के डिजाइन में भी बदलाव नजर आ सकते हैं.

– मार्केट में लोग पेट्रोल-डीजल वाहन महंगे होने के कारण दूसरे विकल्प जैसे इलेक्ट्रिक वाहन की ओर भी जा सकते हैं.

बीएस6 मानक एक नजर से देखा जाए तो काफी अच्छे हैं. ये हमारे पर्यावरण को साफ-सुथरा रखने में मदद करेंगे. जिसके कारण हमें भी कई बीमारियों से राहत मिलेगी. वही दूसरी ओर बीएस6 हमारी जेब पर भारी भी पड़ सकता है अगर आप कोई नया वाहन लेने की सोच रहे हैं तो. इसके अलावा बीएस6 तो लागू होगा ही आज नहीं तो कल और वाहन भी बिकते रहेंगे.

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