नाई की दुकान से ट्रेवल्स एजेंसी के मालिक बनने तक का सुहाना सफर

हम फिल्मो में देखते आये ही की फिल्म का हीरो बचपन में कई मुसीबतों का सामना करते हुए करोडपति बनता है। लेकिन फिल्मो में होने वाले ड्रामे भी किसी न किसी व्यक्ति की जिन्दगी पर आधारित होते है। कुछ ऐसा ही रमेश बाबु के साथ भी हुआ। रमेश ने अपने जीवन में कई मुसीबतों का सामना करते हुए अपने जीवन को अपने आकर में परिवर्तित किया है।
रमेश बाबु का जीवन कई मुसीबतों का सामना करते हुए गुजरा। रमेश बाबु के पिताजी की नाई की दुकान थी जो उनकी एक मात्र सम्पति थी। 1989 में पिताजी की मृत्यु  के बाद रमेश बाबु ने अपनी शिक्षा को महत्व न देते हुए अपने पिताजी की नाई की दुकान को चलाना बेहतर समझा। रमेश बाबू कुछ ही दिन में स्टाइलिश बाल काटने वाले  व्यक्ति बन गए। रमेश बाबु ने अपनी दुकान को इनर स्पेस का नाम  दिया। अपने बचपन के सपने को उन्होंने 1997 पूरा किया अपने जीवन की पहली कार रमेश बाबु ने ओमनी कार खरीदी। रमेश बाबु ने जोखिम उठा कर अपनी कार को भाड़े पर चलाने का निश्चय किया।
  • सन 1990 में  रमेश बाबु ने अपनी संस्था का नाम रमेश टूर एंड ट्रेवल्स रखा।
  • 2004 में रमेश बाबु एक समर्द्ध कार  भाड़े पर देने वाले व्यक्ति बन गए।
  • 2004 में रानेश जी के पास 7 कार थी।
  • अपनी मेहनत और सच्ची लगन से उन्होंने 2014 तक उनके पास  200 कार हो गई थी।
  • रमेश बाबु के पास 200 कार के साथ 75 विशेष कार भी है।
  • रमेश जी के पास बी.ऍम.डब्लु, ऑडी, मर्सिडीस के साथ ही दस सिटर की कार भी है।

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